Saturday, January 29, 2011

bechaara stringer

 बेचारा स्ट्रिंगर बना पाण्डेय का शिकार

आपने ईटीवी न्यूज़ पर रिपोर्टरों को खुलासे करते देखा होगा, एंकर भी खुलासे करतें हैं, चैनल  पर प्रभु चावला, अजय सेतिया यहाँ तक की आप  ईटीवी न्यूज़ के तथा कथित हिंदी चैनल हेड को खुलासें करते आप देख सकते हैं, ये सब खुलासें जनता को भरमाने के लिए होते हैं. इन सबके सम्बन्ध में हम आपसे बाद में चर्चा करेंगे. पहले  ईटीवी न्यूज़ में चेंज हो चुके नियमों की हम बात करलें, ईटीवी न्यूज़ में समाचार लाने का जमाना चला गया, अब ईटीवी न्यूज़ में अगर आप नौकरी पाना चाहतें हैं और उसे बरक़रार रखना चाहतें है तो आपको दो गुणों में महारत हासिल करना होगा पहला चापलूसी और दुसरा दलाली. इन दोनों में अगर आप कमजोर हैं तो फिर आपके के पास एक ही रास्ता है या तो आप को पीड़ित किया जायेगा या नहीं तो आपको बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा. 

शुरुआत कर लेते हैं ईटीवी न्यूज़ के छत्तीसगढ़ प्रदेश से हाल ही में निकाले गए एक स्ट्रिंगर की जिन्हें है ईटीवी न्यूज़ सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने रायपुर वाले बयूरो हेड शैलेश पाण्डेय जी को पैसे देने से मना कर दिया. खबर  मध्य प्रदेश /छत्तीसगढ़ इनपुट हेड अरुण त्रिवेदी, मेनेजर दीपक साहा, नोडल इंचार्ज मनीष उपाध्याय, एडिटर राजेश रैना,.....से लेकर कातिल साहब तक पहुंची. लेकिन कहावत है कि खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान वही बात यहाँ भी लागू हो गयी. कातिल के ख़ास होने के चलते शैलेश पाण्डेय जी का तो कुछ नहीं हुआ बेचारे ये स्ट्रिंगर साहब निपट गए. स्ट्रिंगर  को बोल दिया गया की आपको हेड ऑफिस से खबर डालने से मना  किया गया है, बेचारे बॉस  के बातों में आ गये, नयी नयी शादी हुई थी बेचारे की खुमारी भी नहीं उतरी थी, दो महीने तक साहब ने स्टोरी नहीं डाली, पांडे को मिला मौका. हेड ऑफिस को दे दी सूचना की स्ट्रिंगर शाहब ने दो महीने से स्टोरी ही नहीं डाली. और हेड ऑफिस ने भी आईडी जमा करवा लिया. और बेचारे स्ट्रिन्गेर साहब बाहर. अब पते की बात  ईटीवी न्यूज़ का रामोजी मैनेजमेंट किसी को भी हटता या निकलता है तो उसके लिए बजाफ्ते लिखित रूप में भेजा जाता है लेकिन ठहरे तो साहब स्ट्रिंगर उन्हें इस बात की जानकारी तो थी नहीं की जब तक ऊपर से लिखित आदेश नही आता है तब तक आपको स्टोरी भेजना बंद नहीं करना है बेचारे फंस गए चुंगुल में और नौकरी भी गयी हाथ से वैसे भी तिक्रमी आदमी वही हो सकता है जिसके पास ये सब काम करने की फुर्सत हो, काम भी नहीं करना हो और पैसे भी आते रहे.

अब जब बात काम की हो ही रही है तो क्यों ना साहब की काम के बारेमे भी जानकारी ले लें शैलेश पाण्डेय जी साहब ११ से १२ एक बजे तक अपने ऑफिस में आ ही जाते हैं, ठंडी ठंडी एक की हवा खाते आते हैं, ऑफिस पहुँचते ही दिन में ऑरकुट, पोर्नोग्राफी एक दो फिल्म डाउनलोड करने देखने के साथ रोजाना कंप्यूटर गमेस अच्छा स्कोर तो अवश्य कर लेते हैं आपके बच्चों को तो गमेस में जरूत पारंगत कर देंगे इतने में दो हंसी ठठा और रोब दिखाते शाम के ८ बजे और पाण्डेय जी बाहर अब तो पाण्डेय जी को आप मयखाने बार और फ्री के दारू पीते नज़र न आये तो क्या आये वैसे भी एक बीबी के रहते एतव के १५ हज़ार की नौकरी में ४ गर्लफ्रेंड रखना आसान बात है क्या??
ये तो हुई साहब के बारे में छोटी सी जानकारी अब स्ट्रिंगर कंट्राक्टवाले मजदूर हो गए बेचारों का कंट्राक्ट रेनेव्ल के लिए लैटर आया हुआ था  26 देक को   लेकिन पाण्डेय जी तो पाण्डेय जी उसको लेकर सो गए जब भोपाल में एचआर को याद आई और उन्होंने ने तफतीस किया तो पता चाल पाण्डेय जी तो उसे लेकर बैठ गए बेचारे इतने दिनों तक बिना contract रेनेवेल के ही काम करते रहे